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Friday, August 16, 2024

सितंबर 2024 के प्रमुख हिंदू त्यौहार और धार्मिक तिथियाँ: विस्तृत मार्गदर्शिका

सितंबर 2024 के महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार और धार्मिक तिथियाँ


A Guide to Important Hindu Festivals and Religious Dates
A Guide to Important Hindu Festivals and Religious Dates


सितंबर 2024 का महीना हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस महीने में अनेक प्रमुख त्यौहार और धार्मिक तिथियाँ आती हैं, जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती हैं। चाहे गणेश चतुर्थी हो या हरतालिका तीज, यह समय परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर धर्म और संस्कृति को मनाने का है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको सितंबर 2024 के सभी प्रमुख हिंदू त्यौहारों और धार्मिक तिथियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, ताकि आप इन पवित्र दिनों को सही तरीके से मना सकें और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

सितंबर 1, 2024 (रविवार) - मासिक शिवरात्रि और पर्युषण पर्वारंभ

सितंबर का पहला दिन मासिक शिवरात्रि और पर्युषण पर्वारंभ जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के साथ शुरू होता है। मासिक शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना के लिए महत्वपूर्ण है। शिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है "शिव की रात," और इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं, और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और भांग अर्पित करते हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव से मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करना है। पर्युषण पर्व जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख पर्व है, जो आत्मशुद्धि और तपस्या के लिए समर्पित होता है। यह पर्व आठ दिनों तक चलता है, जिसमें जैन धर्म के अनुयायी उपवास करते हैं, धार्मिक प्रवचन सुनते हैं, और अपने कर्मों का आत्मनिरीक्षण करते हैं।

सितंबर 2, 2024 (सोमवार) - सोमवती अमावस्या और पिठोरी अमावस्या

सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व तब होता है जब अमावस्या का दिन सोमवार को पड़ता है। इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यधिक होता है क्योंकि इसे शुभ और पवित्र माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और वह मोक्ष प्राप्ति के योग्य हो जाता है। पिठोरी अमावस्या पर महिलाएं विशेष रूप से अपनी संतानों की लंबी आयु और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं। इस दिन महिलाएं पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करती हैं और उन्हें पिठोरे (विशेष भोजन) अर्पित करती हैं।

सितंबर 3, 2024 (मंगलवार) - इष्टि और अगस्त्य अर्घ्य

इष्टि एक वैदिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। इष्टि का अर्थ है "इच्छा पूर्ति," और यह यज्ञ उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में किसी विशेष इच्छा की पूर्ति चाहते हैं। इस यज्ञ में विशेष मंत्रों का उच्चारण और अग्नि में आहुति दी जाती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है। अगस्त्य अर्घ्य का विशेष महत्व दक्षिण भारत में है, जहां इस दिन ऋषि अगस्त्य की पूजा की जाती है। अगस्त्य मुनि को दक्षिण भारत में विशेष आदर और सम्मान प्राप्त है। इस दिन भक्तजन अगस्त्य मुनि की मूर्तियों का पूजन करते हैं और उन्हें जल अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन अगस्त्य मुनि ने दक्षिण भारत के लोगों को ज्ञान और धर्म का उपदेश दिया था।

सितंबर 4, 2024 (बुधवार) - चंद्र दर्शन और सामवेद उपाकर्म

अमावस्या के बाद आने वाले दिन को चंद्र दर्शन के रूप में मनाया जाता है, जब लोग चंद्रमा की पहली झलक देखते हैं। इस दिन को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है। चंद्रमा को मानसिक शांति, संतुलन, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चंद्र दर्शन के दिन लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं और उसे अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन विशेष रूप से व्रत और पूजा का आयोजन होता है। चंद्र दर्शन से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का आगमन होता है। सामवेद उपाकर्म का पर्व वैदिक परंपरा में विशेष महत्व रखता है। सामवेद हिंदू धर्म के चार वेदों में से एक है, और इस वेद का अध्ययन और उपाकर्म विशेष रूप से ब्राह्मण समुदाय द्वारा किया जाता है। इस दिन सामवेद का पाठ और उसके मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

सितंबर 5, 2024 (गुरुवार) - वराह जयंती और शिक्षक दिवस

वराह जयंती का पर्व भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतारों में से एक प्रमुख अवतार के रूप में देखा जाता है। वराह अवतार के माध्यम से भगवान विष्णु ने पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष से बचाया था, जो पृथ्वी को पाताल लोक में ले गया था। इस दिन भगवान वराह की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वराह जयंती का

वराह जयंती का पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त हैं। इस दिन विशेष यज्ञ, हवन, और धार्मिक प्रवचनों का आयोजन होता है। शिक्षक दिवस पूरे भारत में शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक थे। इस दिन शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें छात्र अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

सितंबर 6, 2024 (शुक्रवार) - हरतालिका तीज और गौरी हब्बा

हरतालिका तीज का पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और निर्जल व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज का महत्व इस कथा से जुड़ा हुआ है कि माता पार्वती ने इसी दिन भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस व्रत का पालन करने से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित युवतियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज पर महिलाएं अपने हाथों में मेंहदी लगाती हैं, नए वस्त्र पहनती हैं, और सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है।

दक्षिण भारत, विशेष रूप से कर्नाटक में, इस दिन गौरी हब्बा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं गौरी देवी की पूजा करती हैं, जो माता पार्वती का एक रूप हैं। गौरी हब्बा का पर्व विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन देवी गौरी की मूर्तियों की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष प्रसाद अर्पित किया जाता है। साथ ही, इस दिन महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि और खुशहाली के लिए विशेष व्रत रखती हैं और धार्मिक अनुष्ठान करती हैं।

सितंबर 7, 2024 (शनिवार) - गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी

गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणपति की मूर्तियों की स्थापना की जाती है और दस दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। महाराष्ट्र में इस पर्व का विशेष महत्व है, जहां बड़े-बड़े पंडालों में गणपति की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दिन को विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और इसे विघ्नहर्ता भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।

विनायक चतुर्थी के दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन भक्तजन गणपति की मूर्तियों का अभिषेक करते हैं, उन्हें दुर्वा, लाल फूल, मोदक, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं। यह पर्व गणेश भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और इस दिन भगवान गणेश से अपने जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों को दूर करने की प्रार्थना की जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति की पूजा की जाती है और फिर गणेश विसर्जन का आयोजन किया जाता है।

सितंबर 8, 2024 (रविवार) - ऋषि पंचमी और संवत्सरी पर्व

ऋषि पंचमी का व्रत हिंदू धर्म में सप्तऋषियों की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा किया जाता है जो अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इस दिन उपवास रखती हैं और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। ऋषि पंचमी का व्रत करने से महिलाएं अपने पापों से मुक्त हो जाती हैं और उन्हें पुनः अपने जीवन में शुद्धता और पवित्रता प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से सप्तऋषियों की पूजा की जाती है, जिसमें जल, पुष्प, और प्रसाद अर्पित किया जाता है।

संवत्सरी पर्व जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे क्षमावाणी का दिन भी कहा जाता है। इस दिन जैन अनुयायी अपने द्वारा किए गए सभी पापों के लिए क्षमा याचना करते हैं और दूसरों को क्षमा करते हैं। संवत्सरी पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि और आंतरिक शांति प्राप्त करना होता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी अपने परिवार और समाज के लोगों से क्षमा मांगते हैं और उन्हें क्षमा करते हैं, जिससे उनके जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

सितंबर 9, 2024 (सोमवार) - स्कंद षष्ठी

स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन का विशेष महत्व है, जहां भक्त भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए उपवास रखते हैं। इसे सुभ्रमण्यम षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद षष्ठी का पर्व विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल, और कर्नाटक में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की मूर्तियों का विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है और उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं।

स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्त

िकेय की पूजा से जुड़ा हुआ है। इस दिन उपवास करने से और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पर्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में कष्टों और बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं। स्कंद षष्ठी का व्रत करने से जीवन में सफलता, समृद्धि, और शांति का आगमन होता है।

सितंबर 10, 2024 (मंगलवार) - ललिता सप्तमी और ज्येष्ठ गौरी आवाहन

ललिता सप्तमी का पर्व देवी ललिता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें त्रिपुरा सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी ललिता की पूजा करने से जीवन में सौंदर्य, ऐश्वर्य, और समृद्धि का आगमन होता है। ललिता सप्तमी का पर्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी जीवन में सौंदर्य और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसमें देवी ललिता की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है और उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है।

ज्येष्ठ गौरी आवाहन का पर्व महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं गौरी देवी की मूर्तियों का आवाहन करती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। ज्येष्ठ गौरी आवाहन के दिन महिलाएं अपने घरों को सजाती हैं, विशेष प्रसाद तैयार करती हैं, और गौरी देवी की पूजा करती हैं। इस दिन का महत्व विशेष रूप से महाराष्ट्र के कोंकण और विदर्भ क्षेत्र में होता है।

सितंबर 11, 2024 (बुधवार) - राधाष्टमी और महालक्ष्मी व्रत आरंभ

राधाष्टमी का पर्व राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से वृंदावन और मथुरा में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां राधा रानी की पूजा की जाती है और विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दिन राधा रानी की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है, उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं, और विशेष भोग अर्पित किया जाता है। राधाष्टमी का पर्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो भगवान कृष्ण और राधा रानी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भी इसी दिन से होता है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस व्रत का उद्देश्य माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना और जीवन में धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस व्रत को विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति की कामना करती हैं। महालक्ष्मी व्रत के दौरान महिलाएं प्रतिदिन माता लक्ष्मी की पूजा करती हैं, विशेष मंत्रों का जप करती हैं, और उन्हें भोग अर्पित करती हैं।

सितंबर 12, 2024 (गुरुवार) - ज्येष्ठ गौरी विसर्जन

ज्येष्ठ गौरी विसर्जन का पर्व महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन गणेशोत्सव के दौरान आता है और इस दिन महिलाएं गौरी देवी की मूर्तियों का विसर्जन करती हैं। विसर्जन का यह पर्व विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो गौरी देवी की पूजा करती हैं और उनसे अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करती हैं, व्रत रखती हैं, और गौरी देवी को विशेष भोग अर्पित करती हैं।

गौरी विसर्जन के दिन महिलाएं विशेष गीत गाती हैं, और अपने परिवार के साथ मिलकर इस दिन को धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह के साथ मनाती हैं। इस पर्व का समापन विसर्जन के साथ होता है, जब महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर गौरी देवी की मूर्तियों का विसर्जन करती हैं और उनसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करती हैं।

सितंबर 13, 2024 (शुक्रवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

इस दिन कोई प्रमुख धार्मिक त्यौहार नहीं है, लेकिन भक्तजन इस दिन को धार्मिक और आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित कर सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में धार्मिक आस्था और भक्ति को बढ़ाना चाहते हैं। इस दिन पूजा-पाठ, ध्यान, और सत्संग का आयोजन किया जा सकता है।

सितंबर 14, 2024 (शनिवार) - पार्श्व एकादशी और हिंदी दिवस

पार्श्व एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए किया जाता है। यह एकादशी व्रत विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। पार्श्व एकादशी का व्रत करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति का आगमन होता है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर

को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के प्रति सम्मान और उसके प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित होता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था, और तब से इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी दफ्तरों, और सांस्कृतिक संगठनों में हिंदी के महत्व को उजागर करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हिंदी दिवस पर भाषण, निबंध, और कविता पाठ जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें विद्यार्थी और कर्मचारी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस दिन हिंदी साहित्य और भाषा के विकास में योगदान देने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाता है।

सितंबर 15, 2024 (रविवार) - वामन जयंती और ओणम

वामन जयंती भगवान विष्णु के वामन अवतार के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। वामन अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से एक है, जिसमें उन्होंने एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया था। इस दिन भक्तजन भगवान वामन की पूजा करते हैं और उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं। वामन जयंती का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जहां इस दिन विशेष यज्ञ और हवन का आयोजन किया जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान वामन से अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की कामना करते हैं।

ओणम केरल का सबसे बड़ा और प्रमुख त्यौहार है, जो महाबली की याद में मनाया जाता है। ओणम का पर्व 10 दिनों तक चलता है, और इसे बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। ओणम के दौरान पारंपरिक खेल, नृत्य, और पूजा का आयोजन होता है। इस त्यौहार के दौरान केरल के लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, और विशेष भोजन तैयार करते हैं। ओणम का पर्व केरल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जिसमें केरल के लोग अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का उत्सव मनाते हैं।

सितंबर 16, 2024 (सोमवार) - विश्वकर्मा पूजा और कन्या संक्रांति

विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए मनाई जाती है, जो निर्माण और शिल्प के देवता माने जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से कारीगरों, इंजीनियरों, और शिल्पकारों द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा का दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो निर्माण, उत्पादन, और तकनीकी कार्यों में संलग्न हैं। इस दिन कारखानों, निर्माण स्थलों, और कार्यालयों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और उनसे कार्य में सफलता और समृद्धि की कामना की जाती है।

कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे नए मौसम की शुरुआत होती है। इस दिन का धार्मिक महत्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में होता है, जहां लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं। कन्या संक्रांति का पर्व धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भक्तजन अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि के लिए भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और विशेष अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं।

सितंबर 17, 2024 (मंगलवार) - अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन

अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और अनंत सूत्र धारण किया जाता है। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से जीवन में अनंत सुख और समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन भगवान विष्णु की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है, उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है, और अनंत सूत्र को धारण किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

गणेश विसर्जन का आयोजन भी अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। गणेशोत्सव के दौरान स्थापित गणपति की मूर्तियों का विसर्जन इस दिन बड़े धूमधाम से किया जाता है। महाराष्ट्र में इस पर्व का विशेष महत्व होता है, जहां बड़े-बड़े जुलूस निकालकर गणपति की मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है। गणेश विसर्जन के दौरान भक्तजन भगवान गणेश से अपने जीवन में सुख-समृद्धि और विघ्नों के निवारण की प्रार्थना करते हैं। गणेश विसर्जन का पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो गणेश भक्त हैं और भगवान गणेश से अपने जीवन में कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

सितंबर 18, 2024 (बुधवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

इस दिन कोई प्रमुख धार्मिक त्यौहार नहीं है, लेकिन यह दिन भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक साधना का एक और अवसर प्रदान करता है। भक्तजन इस दिन पूजा-पाठ, ध्यान, और सत्संग का आयोजन कर सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में धार्मिक आस्था और भक्ति को बढ़ाना चाहते हैं। इस दिन व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर धार्मिक गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं।

सितंबर 19, 2024 (गुरुवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

19 सितंबर को भी कोई विशेष धार्मिक पर्व या त्यौहार नहीं है। हालांकि, यह दिन धार्मिक चिंतन और आत्ममंथन

का दिन विशेष रूप से धार्मिक चिंतन और आत्ममंथन के लिए उपयोगी हो सकता है। भक्तजन इस दिन भगवान की भक्ति में समय बिता सकते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास कर सकते हैं। यह दिन ध्यान, साधना, और प्रार्थना के लिए उपयुक्त हो सकता है, जिससे मन की शांति और संतुलन प्राप्त किया जा सके।

सितंबर 20, 2024 (शुक्रवार) - संकष्टी चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की पूजा के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है और उन्हें दुर्वा, लाल फूल, मोदक, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों का निवारण होता है। इसे संकट हरणी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, जिसका उद्देश्य भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकटों का निवारण करना होता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और भगवान गणेश से अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और व्यक्ति को भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है और भक्तजन गणेश मंत्रों का जप करते हैं।

सितंबर 21, 2024 (शनिवार) - पुरटासी शनिवार और कार्तिगई नक्षत्र

पुरटासी शनिवार का दिन दक्षिण भारत में विशेष महत्व रखता है। यह दिन विशेष रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक में मनाया जाता है, जहां भक्त भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करते हैं। पुरटासी शनिवार को भगवान वेंकटेश्वर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें भक्तजन उपवास रखते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान वेंकटेश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तजन विशेष मंत्रों का जप करते हैं और उनसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

कार्तिगई नक्षत्र भी इसी दिन मनाया जाता है, जो दक्षिण भारत में विशेष रूप से भगवान शिव और भगवान मुरुगन की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भक्तजन भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं और उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं। कार्तिगई नक्षत्र का पर्व विशेष रूप से तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है, जहां इस दिन विशेष दीप जलाए जाते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस दिन का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक होता है।

सितंबर 22, 2024 (रविवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

इस दिन कोई प्रमुख धार्मिक पर्व या त्यौहार नहीं है। हालांकि, यह दिन धार्मिक साधना और आत्मचिंतन के लिए आदर्श हो सकता है। भक्तजन इस दिन पूजा-पाठ, ध्यान, और सत्संग का आयोजन कर सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में धार्मिक आस्था और भक्ति को बढ़ाना चाहते हैं। इस दिन व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर धार्मिक गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं और भगवान से अपने जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना कर सकते हैं।

सितंबर 23, 2024 (सोमवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

23 सितंबर को भी कोई विशेष त्यौहार नहीं है। यह दिन भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक साधना के लिए समय निकालने का अवसर प्रदान करता है। भक्तजन इस दिन पूजा-पाठ, ध्यान, और साधना में समय बिता सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में भगवान की भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस दिन व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर धार्मिक कार्यों में भाग ले सकते हैं और भगवान से अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्रार्थना कर सकते हैं।

सितंबर 24, 2024 (मंगलवार) - कृष्ण अष्टमी

कृष्ण अष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से व्रत और पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन भगवान कृष्ण की मूर्तियों का अभिषेक करते हैं और उनकी विशेष पूजा करते हैं। कृष्ण अष्टमी का पर्व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और इस दिन भक्तजन भगवान कृष्ण से अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से भक्तजन उपवास रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कृष्ण अष्टमी का पर्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है और भगवान कृष्ण की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। भक्तजन इस दिन भगवान कृष्ण से अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।

सितंबर 25, 2024 (बुधवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

25 सितंबर को कोई विशेष धार्मिक या सांस्कृतिक पर्व नहीं है। इस दिन भक्तजन अपने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को सुधारने के लिए ध्यान और साधना में लीन हो सकते हैं। यह दिन अपने परिवार के साथ मिलकर धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने और अपने व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करने का एक अच्छा अवसर हो सकता है। भक्तजन इस दिन अपने मन की शांति और संतुलन प्राप्त करने के लिए भगवान का स्मरण कर सकते हैं।

सितंबर 26, 2024 (गुरुवार) - त्रिलोक गौरी व्रत

त्रिलोक गौरी व्रत का आयोजन उत्तर भारत में विशेष रूप से किया जाता है। इस दिन महिलाएं माता गौरी की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं, ताकि उनके परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहे। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पति और संतान की लंबी आयु और उनकी खुशहाली की कामना करती हैं। त्रिलोक गौरी व्रत का पालन करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन माता गौरी की मूर्तियों का विशेष अभिषेक किया जाता है और उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है।

इस व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक होता है, और इसे उत्तरी भारत में विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। त्रिलोक गौरी व्रत का पालन करने से महिलाओं को विशेष रूप से माता गौरी की कृपा प्राप्त होती है और उनके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

सितंबर 27, 2024 (शुक्रवार) - कोई विशेष त्यौहार नहीं

27 सितंबर को भी कोई प्रमुख धार्मिक पर्व या त्यौहार नहीं है। इस दिन भक्तजन अपने दैनिक जीवन के कर्तव्यों को निभाते हुए, धार्मिक साधना और आत्मचिंतन के लिए समय निकाल सकते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में भगवान की भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस दिन व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर धार्मिक कार्यों में भाग ले सकते हैं और भगवान से अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्रार्थना कर सकते हैं।

सितंबर 28, 2024 (शनिवार) - इंदिरा एकादशी और पुरटासी शनिवार

इंदिरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए किया जाता है। यह एकादशी व्रत विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की मूर्तियों का विशेष अभिषेक किया जाता है, और उन्हें तुलसी के पत्ते, पीले फूल, और प्रसाद अर्पित किया जाता है। इंदिरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का निवारण होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं।

पुरटासी शनिवार का भी इस दिन महत्व है, जो दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान वेंकटेश्वर की पूजा के लिए समर्पित होता है। पुरटासी शनिवार के दिन भक्तजन भगवान वेंकटेश्वर की विशेष पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक होता है, और इसे दक्षिण भारत में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान वेंकटेश्वर से अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना की जाती है।

सितंबर 29, 2024 (रविवार) - प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर विशेष पूजन करते हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने से भक्तों के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और वे शिव की कृपा प्राप्त करते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि इसे करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का आगमन होता है।

प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, और शिव मंत्रों का जप किया जाता है। प्रदोष व्रत का पालन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

सितंबर 30, 2024 (सोमवार) - मासिक शिवरात्रि

मासिक शिवरात्रि का पर्व हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, और भक्तजन उपवास रखते हैं। मासिक शिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इस दिन रात्रि जागरण और शिव मंत्रों का जप किया जाता है, और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और भांग अर्पित किया जाता है।

मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप

का नाश होता है और उसे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन रात्रि जागरण के साथ शिवलिंग पर विशेष पूजन और अभिषेक किया जाता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति का आगमन होता है। इस व्रत का पालन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं।

इस प्रकार, सितंबर 2024 का महीना धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक उत्सवों से परिपूर्ण है। इस माह के प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष महत्व है, जो हिन्दू धर्म में आस्था और भक्ति को और भी गहरा करता है। इन त्यौहारों और व्रतों के पालन से न केवल धार्मिक आस्था को बल मिलता है, बल्कि समाज में एकता, प्रेम, और भाईचारे की भावना भी प्रबल होती है। सितंबर 2024 के इन पर्वों और व्रतों का पालन करके भक्तजन अपने जीवन को धर्म और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत कर सकते हैं और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना कर सकते हैं।

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