Hindu guru goyal : हरियाली तीज 2024: तिथि, समय, मुहूर्त, उत्सव के प्रकार और क्षेत्रवार प्रमुख रीति-रिवाज

Buy 1 get 7 free

Saturday, July 27, 2024

हरियाली तीज 2024: तिथि, समय, मुहूर्त, उत्सव के प्रकार और क्षेत्रवार प्रमुख रीति-रिवाज

हरियाली तीज 2024

हरियाली तीज 2024: तिथि, समय, मुहूर्त और उत्सव के प्रकार

भारत में तीज का त्योहार मुख्यतः महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। तीज का पर्व मुख्यतः तीन प्रकार का होता है: हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरतालिका तीज। आइए जानते हैं इन तीनों तीज के बारे में विस्तार से:

हरियाली तीज 2024 की तिथि और मुहूर्त

हरियाली तीज को श्रावण तीज भी कहा जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं हरियाली वस्त्र पहनती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती हैं।

  • तिथि: 7 अगस्त 2024
  • मुहूर्त:
    • त्रितिया तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त 2024, रात 7:52 बजे
    • त्रितिया तिथि समाप्त: 7 अगस्त 2024, रात 10:05 बजे

हरियाली तीज के उत्सव के स्थान

भारत के विभिन्न हिस्सों में हरियाली तीज को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि किन स्थानों और क्षेत्रों में हरियाली तीज का उत्सव प्रमुख रूप से मनाया जाता है:

1. राजस्थान:

राजस्थान में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। यहां के जयपुर, उदयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में महिलाएं विशेष पूजा-अर्चना करती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती हैं। जयपुर में एक विशाल तीज मेला आयोजित किया जाता है जिसमें झूले, गीत-संगीत और लोक नृत्य का आयोजन होता है।

2. उत्तर प्रदेश:

उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों और गाँवों में हरियाली तीज बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। महिलाएं अपने घरों को हरे पत्तों और फूलों से सजाती हैं और झूलों पर झूलती हैं।

3. बिहार:

बिहार में हरियाली तीज को "कजरी तीज" के नाम से भी जाना जाता है। यहां की महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वे इस दिन को विशेष पकवान बनाकर भी मनाती हैं।

4. मध्य प्रदेश:

मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भी हरियाली तीज का विशेष महत्व है। यहां की महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर झूलों पर झूलती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती हैं।

5. हरियाणा:

हरियाणा में भी हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यहां की महिलाएं इस दिन नए कपड़े पहनती हैं और सामूहिक रूप से झूलों पर झूलती हैं।

Sindhara Teej
सिंधारा तीज 2024 date
सिंधारा तीज

सिंधारा तीज 2024 की तिथि और समय

सिंधारा तीज को हरियाली तीज का ही एक प्रकार माना जाता है और यह हरियाली तीज के समान ही तिथि पर मनाई जाती है:

  • तिथि: 7 अगस्त 2024
  • मुहूर्त:
    • त्रितिया तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त 2024, रात 7:52 बजे
    • त्रितिया तिथि समाप्त: 7 अगस्त 2024, रात 10:05 बजे
तीज कजरी
कजरी तीज date 2024
kajriteej2024 date

कजरी तीज 2024 की तिथि और मुहूर्त

कजरी तीज, जिसे बड़ी तीज या कजली तीज भी कहा जाता है, हरियाली तीज के पंद्रह दिन बाद मनाई जाती है:

  • तिथि: 21 अगस्त 2024
  • मुहूर्त:
    • त्रितिया तिथि प्रारंभ: 21 अगस्त 2024, सुबह 4:15 बजे
    • त्रितिया तिथि समाप्त: 21 अगस्त 2024, रात 6:30 बजे

हरतालिका तीज 2024 की तिथि और मुहूर्त

हरतालिका तीज श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है:

  • तिथि: 5 सितंबर 2024
  • मुहूर्त:
    • त्रितिया तिथि प्रारंभ: 4 सितंबर 2024, रात 11:50 बजे
    • त्रितिया तिथि समाप्त: 5 सितंबर 2024, रात 1:40 बजे

हरियाली तीज के प्रमुख रीति-रिवाज

हरियाली तीज के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन झूला झूलना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। महिलाएं झूलों को सजाती हैं और उन पर झूलती हैं।

झूला झूलने की परंपरा:

हरियाली तीज पर झूला झूलने की परंपरा बेहद महत्वपूर्ण है। महिलाएं और युवतियां पेड़ों पर झूले बांधती हैं और उन पर झूलती हैं। झूले पर झूलते समय वे तीज के गीत गाती हैं और अपनी खुशियों को साझा करती हैं।

मेहंदी लगाना:

इस दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं। मेहंदी को शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं मेहंदी के विभिन्न डिज़ाइन बनाती हैं और एक-दूसरे के हाथों में मेहंदी लगाती हैं।

उपवास और पूजा:

महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में वे फलों, फूलों, धूप, दीप और मिठाइयों का अर्पण करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

कजरी तीज के प्रमुख रीति-रिवाज

कजरी तीज का पर्व मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

कजरी गीत:

कजरी तीज पर कजरी गीत गाने की परंपरा है। महिलाएं पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं जो प्रेम, विरह और प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन करते हैं।

झूला झूलना:

कजरी तीज पर भी झूला झूलने की परंपरा है। महिलाएं और युवतियां पेड़ों पर झूले बांधती हैं और उन पर झूलती हैं।

पूजा और उपवास:

महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में वे फलों, फूलों, धूप, दीप और मिठाइयों का अर्पण करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज के प्रमुख रीति-रिवाज

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को बनाकर उनकी पूजा करती हैं और उपवास रखती हैं। इस दिन महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और एक-दूसरे के साथ लोक गीत गाती हैं। यह पर्व मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है।

मूर्तियों की पूजा:

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करती हैं। यह परंपरा भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा से संबंधित है। महिलाएं पूजा में फलों, फूलों, धूप, दीप और मिठाइयों का अर्पण करती हैं और उनसे सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

उपवास:

महिलाएं इस दिन कठोर उपवास रखती हैं और बिना पानी के पूरे दिन व्रत रखती हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को दर्शाने के लिए रखा जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम:

हरतालिका तीज पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। महिलाएं पारंपरिक गीत और नृत्य प्रस्तुत करती हैं। यह पर्व महिलाओं के आपसी मेलजोल और समाज में एकता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

तीज का महत्व और सांस्कृतिक प्रभाव

तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि महिलाओं के आपसी संबंधों को मजबूत करने और समाज में एकता को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। तीज का पर्व महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता का भी प्रतीक है।

धार्मिक महत्व:

तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा से संबंधित है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति महिलाओं की भक्ति और श्रद्धा को दर्शाता है। महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

सामाजिक महत्व:

तीज का पर्व महिलाओं के आपसी मेलजोल और समाज में एकता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। महिलाएं इस दिन एक-दूसरे के साथ समय बिताती हैं, गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और झूलों पर झूलती हैं। इससे महिलाओं के आपसी संबंध मजबूत होते हैं और समाज में एकता और भाईचारे का माहौल बनता है।

सांस्कृतिक प्रभाव:

तीज का पर्व विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। इससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संजोने में मदद मिलती है।

तीज पर्व के दौरान खाद्य पदार्थ और पकवान

तीज के पर्व पर विभिन्न प्रकार के पारंपरिक खाद्य पदार्थ और पकवान बनाए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों का महत्व और धार्मिक दृष्टि से भी विशेष स्थान होता है।

घेवर:

घेवर एक विशेष मिठाई है जो तीज के अवसर पर बनाई जाती है। इसे विशेष रूप से राजस्थान में बनाया जाता है। घेवर को विभिन्न प्रकार के फ्लेवर में बनाया जाता है, जैसे कि मलाई घेवर, केसर घेवर आदि।

पूड़ी और आलू की सब्जी:

तीज के दिन पूड़ी और आलू की सब्जी भी विशेष रूप से बनाई जाती है। इसे महिलाएं उपवास के बाद खाती हैं।

फल और मेवा:

तीज के व्रत में महिलाएं फल और मेवा भी खाती हैं। इसे पूजा के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

तीज पर्व के दौरान सजावट और सज्जा

तीज पर्व के दौरान घर और मंदिरों की विशेष सजावट की जाती है। महिलाएं अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों और पत्तों से सजाती हैं।

रंगोली:

महिलाएं अपने घरों के आंगन में रंगोली बनाती हैं। रंगोली को रंग-बिरंगे रंगों और फूलों से सजाया जाता है। यह घर की सुंदरता को बढ़ाता है और शुभता का प्रतीक होता है।

झूले:

तीज के दिन महिलाएं झूले को विशेष रूप से सजाती हैं। झूलों को फूलों और रंग-बिरंगी चादरों से सजाया जाता है। महिलाएं इन झूलों पर झूलती हैं और गीत गाती हैं।

तीज पर्व के दौरान उपहार और शृंगार

तीज पर्व के दौरान महिलाएं एक-दूसरे को उपहार देती हैं और शृंगार करती हैं।

शृंगार:

महिलाएं तीज के दिन विशेष रूप से शृंगार करती हैं। वे नए कपड़े पहनती हैं, आभूषण पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं। शृंगार महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाता है और उन्हें आत्मविश्वास महसूस कराता है।

उपहार:

महिलाएं तीज के दिन एक-दूसरे को उपहार देती हैं। ये उपहार अक्सर मिठाइयों, कपड़ों और आभूषणों के रूप में होते हैं। उपहार देने की परंपरा आपसी प्रेम और सम्मान को दर्शाती है।

SEO और विज़िटर आकर्षण के मुख्य बिंदु

हरियाली तीज 2024 के लिए SEO और विज़िटर आकर्षण के लिए निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दें:

  • अनुकरणीय शीर्षक और मेटा विवरण: ब्लॉग पोस्ट का शीर्षक और मेटा विवरण आकर्षक और कीवर्ड समृद्ध होने चाहिए। उदाहरण: "हरियाली तीज 2024: तिथि, मुहूर्त, और उत्सव की जानकारी"।
  • प्रभावशाली इमेजरी: ब्लॉग पोस्ट में आकर्षक और उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें शामिल करें जो त्योहार की सुंदरता और खुशियों को दर्शाएं।
  • विस्तृत सामग्री: प्रत्येक तीज के बारे में विस्तार से जानकारी दें, जिसमें उनके महत्व, रीति-रिवाज, और उत्सव के स्थान शामिल हों।
  • आकर्षक कॉल टू एक्शन: विज़िटर्स को अपने अनुभव साझा करने और अपनी तीज से संबंधित तस्वीरें पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • सोशल मीडिया शेयरिंग: पोस्ट में सोशल मीडिया शेयर बटन शामिल करें ताकि विज़िटर्स आसानी से सामग्री को शेयर कर सकें।

निष्कर्ष

तीज के तीनों प्रकार, हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरतालिका तीज, महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इन त्योहारों के दौरान महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। हर तीज का अपना एक विशेष महत्व और उत्सव का तरीका होता है, जो इसे अनोखा और महत्वपूर्ण बनाता है।

यह ब्लॉग पोस्ट तीज के महत्व और उसके विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेगी और साथ ही विज़िटर्स को इस पर्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी।

No comments:

Post a Comment

A Complete Guide to Sally Beauty’s Hair Color Range: Top Brands and Expert Tips

  A Complete Guide to Sally Beauty’s Hair Color Range: Top Brands and Expert Tips Author: Shweta Goyal Introduction Hair color i...