Hindu guru goyal : Pitru paksha shradh 2018 date and tithi in hindi. श्राद्ध 2018, पितृ पक्ष 2018, कब कौन सा दिन तारीख

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Monday, September 17, 2018

Pitru paksha shradh 2018 date and tithi in hindi. श्राद्ध 2018, पितृ पक्ष 2018, कब कौन सा दिन तारीख


श्राद्ध 2018, पितृ पक्ष 2018 कब से कब तक है ? Pitru paksha shradh 2018 date and tithi in hindi.



जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्यता तथा सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए अनेक प्रयास किए, उनके ऋण से मुक्त न होने पर हमारा जन्म लेना निरर्थक होता है। इसे उतारना आवश्यक होता है। श्राद्ध में दान का बहुत अधिक महत्व होता हैं | इन दिनों ब्राह्मणों को दान दिया जाता हैं जिसमे अनाज, बर्तन, कपड़े आदि अपनी श्रद्धानुसार दान दिया जाता हैं | इन दिनों गरीबो को भोजन भी कराया जाता हैं|
श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किया जाना सही माना जाता हैं इसे बंद करने के लिए अंत में सभी पितरो के लिए गया (बिहार), बद्रीनाथ जाकर तर्पण विधि एवम पिंड दान किया जाता हैं | इससे जीवन में पितरो का आशीर्वाद बना रहा हैं एवम जीवन पितृ दोष से मुक्त होता हैं|



श्राद्ध 2018, पितृ पक्ष 2018 कब से कब तक है? Pitru paksha shradh 2018 date and tithi in hindi
 
श्राद्ध 2018 डेट : कब से कब तक है पितृ पक्ष? वर्ष 2018 में पितृ-पक्ष 24 सितंबर 2018 सोमवार से प्रारंभ होकर 08 अक्टूबर 2018 सोमवार तक रहेगा। 2018 में श्राद्ध की सभी डेट नीचे विस्तार से बताई गयीं हैं। पितृ पक्ष 2018 - पितृ पक्ष हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।

श्राद्ध 2018 में कौन सा श्राद्ध किस दिन है और कौन से दिन किनका श्राद्ध करना चाहिए?

पहला श्राद्ध (24 सितंबर 2018, रविवार) तिथि – पूर्णिमा

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:48 से 12:36 तक
रौहिण मुहूर्त = 12:36 से 13:24 तक
अपराह्न काल = 13:24 से 15:48 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि को हुई हो।


दूसरा श्राद्ध (25 सितंबर 2018, सोमवार)तिथि – प्रतिपदा


श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:48 से 12:36 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:36 से 13:24 तक
अपराह्न काल = 13:24 से 15:47 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई हो। नानी-नाना का श्राद्ध भी इस दिन किया जा सकता है।


तीसरा श्राद्ध (26 सितंबर 2018, मंगलवार) तिथि – द्वितीय

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:48 से 12:36 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:36 से 13:23 तक
अपराह्न काल = 13:23 से 15:46 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु द्वितीय तिथि को हुई हो।


चौथा श्राद्ध (27 सितंबर 2018, बुधवार) तिथि – तृतीय

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:48 से 12:35 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:35 से 13:23 तक
अपराह्न काल = 13:23 से 15:45 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु तृतीय तिथि को हुई हो।


पांचवा श्राद्ध (28 सितंबर 2018, गुरुवार) तिथि – चतुर्थी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:47 से 12:35 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:35 से 13:22 तक
अपराह्न काल = 13:22 से 15:44 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि को हुई हो।


छठा श्राद्ध (29 सितंबर 2018, शुक्रवार) तिथि – पंचमी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:47 से 12:34 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:34 से 13:22 तक
अपराह्न काल = 13:22 से 15:43 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि को हुई हो। यह श्राद्ध उन परिवारजनों के लिए भी किया जाता है जिनकी मृत्यु कुवारेंपन में हुई हो।
इसलिए इसे कुंवारा पंचमी श्राद्ध भी कहा जाता है।


सातवां श्राद्ध (30 सितंबर 2018, शनिवार) तिथि – षष्ठी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:47 से 12:34 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:34 से 13:21 तक
अपराह्न काल = 13:21 से 15:43 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई हो।


आठवां श्राद्ध (1 अक्टूबर 2018, रविवार) तिथि – सप्तमी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:47 से 12:34 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:34 से 13:21 तक
अपराह्न काल = 13:21 से 15:42 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो।


नौवां श्राद्ध (2 अक्टूबर 2018, सोमवार) तिथि – अष्टमी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:46 से 12:33 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:33 से 13:20 तक
अपराह्न काल = 13:20 से 15:41 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई हो।


दसवां श्राद्ध (3 अक्टूबर 2018, मंगलवार) तिथि – नवमी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:46 से 12:33 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:33 से 13:20 तक
अपराह्न काल = 13:20 से 15:40 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो। इस दिन को मुख्य रूप से माताओं और परिवार की सभी स्त्रियों के श्राद्ध के लिए भी उचित माना जाता है। इसलिए इसे मातृनवमी भी कहा जाता है।


ग्यारहवां श्राद्ध (4 अक्टूबर 2018, बुधवार) तिथि – दशमी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:46 से 12:32 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:32 से 13:19 तक
अपराह्न काल = 13:19 से 15:39 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु दशमी तिथि को हुई हो।


बारहवां श्राद्ध (5 अक्टूबर 2018, गुरुवार) तिथि – एकादशी (ग्यारस श्राद्ध)

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:32 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:32 से 13:19 तक
अपराह्न काल = 13:19 से 15:39 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि को हुई हो।


तेरहवां श्राद्ध (6 अक्टूबर 2018, शुक्रवार) तिथि – द्वादशी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:32 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:32 से 13:18 तक
अपराह्न काल = 13:18 से 15:38 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि को हुई हो। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है जिन्होंने मृत्यु से पूर्व सन्यास ले लिया हो।


चौदहवां श्राद्ध (7 अक्टूबर 2018, शनिवार) तिथि – त्रयोदशी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:31 से 13:18 तक
अपराह्न काल = 13:18 से 15:37 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई हो। घर के मृत बच्चों का श्राद्ध करने के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।


पंद्रहवां श्राद्ध (7 अक्टूबर 2018, शनिवार) तिथि – चतुर्दशी

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:31 से 13:18 तक
अपराह्न काल = 13:18 से 15:37 तक
किसके लिए : चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध केवल उनकी मृतजनों के लिए करना चाहिए जिनकी मृत्यु किसी हथियार से हुई हो, उनका क़त्ल हुआ हो, जिन्होंने आत्महत्या की हो या उनकी मृत्यु किसी हादसे में हुई हो। इसके अलावा अगर किसी की मृत्यु चतुर्दशी तिथि को हुई है तो उनका श्राद्ध अमावस्या श्राद्ध तिथि को ही किया जाएगा।


सोलहवां और अंतिम श्राद्ध (8 अक्टूबर 2018, रविवार) तिथि – अमावस्या

श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:31 से 13:17 तक
अपराह्न काल = 13:17 से 15:36 तक
किसके लिए : जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। इसके अतिरिक्त जिन लोगों को अपने मृत परिवारजनों की तिथि याद नहीं रहती उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जा सकता है। क्योंकि इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते है। सूर्य की अनंत किरणों में सर्वाधिक प्रमुख किरण का नाम अमा है। उस अमा नामक प्रधान किरण के तेज से ही सूर्यदेव तीनों लोको को प्रकाशित करते हैं। उसी अमा किरण में तिथि विशेष को चंद्रदेव निवास (वस्य) करते हैं, अतः इस तिथि का नाम अमावस्या है। अमावस्या प्रत्येक पितृ संबंधी कार्यों के लिए अक्षय फल देने वाली बताई गई है। शास्त्रानुसार वैसे तो प्रत्येक अमावस्या पितृ की पुण्य तिथि होती है परंतु आश्विन मास की अमावस्या पितृओं के लिए परम फलदायी कही गई है। इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा महालया के नाम से जाना जाता है।


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